Opec+ giants pump out additional oil to India

सऊदी अरब, रूस, इराक और यूएई- ये देश ओपेक+ कच्चे तेल प्रोडक्शन देशों का एक गठबंधन है. जिसमें ऑयल एक्सपोर्ट देशों का संगठन (ओपेक) और गैर-ओपेक सदस्य देश शामिल हैं. ये संगठन वैश्विक तेल बाजार में मांग को संतुलित करने के लिए सामूहिक रूप से प्रोडक्शन को कंट्रोल करती है. लेकिन अब ये ओपेक+ देश तेल प्रोडक्शन को और तेजी से बढ़ा रहे हैं और तेल का अधिकांश हिस्सा भारत को दे रहे हैं.

जिससे दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल कंज्यूमर में उनकी ज्वाइंट मार्केट हिस्सेदारी लगभग 78% हो गई है. मई में इन चार देशों ने अप्रैल की तुलना में भारत को हर दिन 375,000 बैरल (बीपीडी) तेल सप्लाई किया है. जिससे भारत को काफी फायदा होगा और भारत जब चाहे तब इस तेलों का इस्तेमाल पेमेंट करके कर सकता है.

मई में सबसे ज्यादा तेल का निर्यात सऊदी अरब ने किया

ग्रुप में सबसे ज्यादा तेल का निर्यात सऊदी अरब ने मई में भारत को किया था. जिससे अप्रैल के मुकाबले इसकी मार्केट हिस्सेदारी 3 प्रतिशत बढ़कर 13.1% हो गई. ये प्रॉफिट एशियाई खरीदारों को दी जाने वाली कीमतों में कटौती के कारण हुआ था. सऊदी अरामको ने अरब लाइट – अपने प्रमुख ग्रेड के लिए मई ओएसपी में 2.30 डॉलर प्रति बैरल की कटौती की थी. इससे एशियाई खरीदारों के लिए प्रीमियम ओमान/दुबई बेंचमार्क से $1.20 कम हो गया है. जून के लिए थोड़े समय के लिए $1.40 तक बढ़ने के बाद, जुलाई लोडिंग के लिए प्रीमियम $1.20 पर बना हुआ है.

रूस ने सप्लायर्स में अब भी पहला स्थान बरकरार रखा

सऊदी अरब ने जो सबसे ज्यादा सप्लाई की है वो इस समय पर आई है जब वैश्विक सप्लायर भारत के बढ़ते कच्चे तेल बाजार में बड़े हिस्से के लिए कॉमपटिशन कर रहे हैं. ईटी के रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब भारत में हिस्सेदारी हासिल करने के लिए किफायती कीमतों का ऑफर दे रहा है.

चीन का तेल बाजार बहुत बड़ा होने के बावजूद, खरीदारों के इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर तेजी से रुख करने के कारण मांग धीमी रही है. बैरल पर लगातार छूट की बदौलत रूस ने भारत के कच्चे तेल सप्लायर्स में अब भी पहला स्थान बरकरार रखा है. ओपेक+ मई आपूर्ति बढ़ावा के हिस्से के रूप में, सऊदी अरब ने 166,000 बीपीडी, रूस ने 79,000 बीपीडी, इराक ने 37,000 बीपीडी और यूएई ने 77,000 बीपीडी प्रोडक्शन बढ़ाने पर सहमति दी थी.

भारत का अमेरिका से कच्चे तेल का निर्यात भी कम हुआ

भारत को उनके एक्सपोर्ट में 135,673 बीपीडी, 114,016 बीपीडी, 66,642 बीपीडी और 58,365 बीपीडी की बढ़ोतरी हुई. इसका मतलब है कि मई में इनकी मार्केट हिस्सेदारी 13.1%, 35.4%, 21.4% और 7.6% रही. सामूहिक रूप से, इनकी हिस्सेदारी 8.1 प्रतिशत बढ़कर 77.5% हो गई. ये प्रॉफिट अफ्रीकी आपूर्तिकर्ताओं की कीमत पर हुआ, जिनकी भारत के कच्चे तेल के आयात में हिस्सेदारी अप्रैल में 11.8% से घटकर मई में 4.9% रह गई.

भारत का अमेरिका से कच्चे तेल का निर्यात भी कम हुआ, जिससे इसकी हिस्सेदारी 7% से घटकर 5.7% रह गई.आठ ओपेक+ देशों ने जून और फिर जुलाई में उत्पादन में 411,000 बीपीडी की बढ़ोतरी करने पर सहमति जताई है. बढ़ती आपूर्ति ने कीमतों पर दबाव डाला है, जो दो महीने से ज्यादा समय से 60-65 डॉलर प्रति बैरल के बीच मंडरा रही है, जो 2024 के औसत 80 डॉलर से काफी नीचे है.

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